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"अमर बेल / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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उसे जड़ से सुखा जाता है
 
उसे जड़ से सुखा जाता है
 
खुद को लेकिन
 
खुद को लेकिन
अमर बेल -सा
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अमर बेल-सा
हर हाल में हरा रखता है।
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हर हाल में हरा रखता है।
  
 
   
 
   

10:23, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

समर्पण की उसकी
अपनी अदा है
लिपटता है इस अदा से
जिस पेड़ पर भी
उसे जड़ से सुखा जाता है
खुद को लेकिन
अमर बेल-सा
हर हाल में हरा रखता है।