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"चांदनी की चूनर ज़मीन पर है / कृष्ण बिहारी 'नूर'" के अवतरणों में अंतर

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आसमाँ से दीप आज उतरे हैं
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चारों तरफ़ यहाँ वहाँ बिखरे हैं
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चाँदनी की चूनर ज़मीन पर है
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गोटे-गोटे भी सभी उभरे हैं
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हर किरन उजाले की बताती है
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ज़िंदगी दिया है साँस बाती है
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प्यार जो मिले तो सब वार दे वहीं
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और न मिले तो बड़ी थाती है
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क्या शिकायत करें उस अँधेरे से
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हम खुशी से डूबे औ उबरे हैं
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आसमाँ से दीप आज उतरे हैं
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चारों तरफ़ यहाँ-वहाँ बिखरे हैं
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दो दिए नयन के मेरे व तेरे
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शाम जले और जले हैं सवेरे
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हरदम यही तो आस मन में रही
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मिट के रहेंगे हमारे अँधेरे
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कुछ न हुआ तो भी कोई ग़म नहीं
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शीशों के आगे हम तो खरे हैं
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आसमाँ से दीप आज उतरे हैं
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चारों तरफ़ यहाँ-वहाँ बिखरे हैं
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20:55, 12 अगस्त 2011 का अवतरण