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"तुझसे लड़ जाय नज़र हमने ये कब चाहा था! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[category: ग़ज़ल]]
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− | <poem>
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− | तुझसे लड़ जाय नज़र हमने ये कब चाहा था!
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− | प्यार भी हो ये अगर, हमने ये कब चाहा था!
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− | दोस्ती में गले मिलते थे हम कभी, लेकिन
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− | हो तेरी गोद में सर, हमने ये कब चाहा था!
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− | यों तो मंज़िल पे पहुँचने की ख़ुशी है, ऐ दोस्त!
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− | ख़त्म हो जाय सफ़र, हमने ये कब चाहा था!
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− | तुझसे मिलने को लिया भेस था दीवाने का
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− | उठके आया है शहर, हमने ये कब चाहा था!
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− | जब कहा उनसे, 'मिटे आपकी चाहत में गुलाब'
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− | हँसके बोले कि मगर हमने ये कब चाहा था!
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23:06, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण