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"न छोड़ यों मुझे, ऐ मेरी ज़िन्दगी बेसाज़ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
 
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न छोड़ यों मुझे, ऐ मेरी ज़िन्दगी बेसाज़
 
कभी तो मैं भी अदाओं का तेरा था हमराज़
 
 
नहीं किसीसे भी मिलता है अब मिजाज़ इसका
 
कुछ इस तरह था छुआ उसने मेरे दिल का ये साज़
 
 
तमाम उम्र बड़ी कशमकश में गुज़री है 
 
कभी तो मुझसे बता दे तू अपने प्यार का राज़
 
 
पता नहीं कि कहाँ रात गिरी थी बिजली!
 
कहींसे कान में आयी थी चीख़ की आवाज़
 
 
गुलाब! बाग़ में क्या-क्या न गुल खिलाता है
 
ये हर सुबह तेरे खिलने का एक नया अंदाज़!
 
 
<poem>
 

23:08, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण