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06:42, 13 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
अचानक ही क्यों
जाग जाती हो तुम
तुम क्यों नहीं
बनाती अपनी कोई
पंचवर्षीय योजना
तुम क्यों नहीं
सजाती अपनी कोई
बड़ी सी दुकान
तुम क्यों नहीं
बड़बड़ाती जब कोई
तुम्हें एकदम से
याद करता है
तुम क्यों नहीं
भटकाती जब कोई
अटकाता है रोड़े
तुम्हारे रास्ते में
मुझे बरगलाओ मत
यह सब तुम
करती हो मगर
देख नहीं पाता
तुम्हारे प्रेम में डूबा
कोई पागल
क्योंकि
तुम ही तो
हो एक विश्वास
सच्चे हृदय का
सच्ची भावना का
सच्चे लक्ष्य का
सच्ची प्रेम-गाथा का।