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"दाखिला / त्रिलोक महावर" के अवतरणों में अंतर

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न ही शर्माकर उठाती है  
 
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गिरा दुपट्टा  
 
गिरा दुपट्टा  
लेवेण्डर और पासपोर्ट की ख़ुशबू  का  
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लेवेण्डर और ’पासपोर्ट’ की ख़ुशबू  का  
 
अहसास ही नहीं होता है  
 
अहसास ही नहीं होता है  
  

14:06, 13 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

झील के किनारे
बने स्कूल में
एक बार फिर
दाख़िला ले लिया है मैंने

जूट के बस्ते में
एक नोट बुक, और कुछ नोट्स लिए
चल रहा हूँ कोलतार की सड़क पर
किसी ने नहीं थाम रखी है उँगली
न ही कोई लड़की पीछे से आकर
मारती है धक्का
न ही शर्माकर उठाती है
गिरा दुपट्टा
लेवेण्डर और ’पासपोर्ट’ की ख़ुशबू का
अहसास ही नहीं होता है

औचक ही आकर नहीं झगड़ती है
प्रिंसिपल की मोटी लड़की
चिकौटियों के दिन लद गए
किसी भी टीचर ने डाँट नहीं पिलाई
कोई हो हल्‍ला भी नहीं है क्लास में ।