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"प्रेम / कीर्ति चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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तुमने हाथ पकड़कर कहा
 
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तुम्हीं हो मेरे मित्र
 
तुम्हीं हो मेरे मित्र
 
 
तुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैं
 
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क्या वह तुम्हारा प्रेम था ?  
 
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मैंने हाथ छुड़ाकर
 
मैंने हाथ छुड़ाकर
 
 
मुँह फेर लिया
 
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मेरी आँखों में आँसू थे
 
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यह भी तो प्रेम था ।
यह भी तो प्रेम था।
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14:59, 13 अगस्त 2011 का अवतरण

तुमने हाथ पकड़कर कहा
तुम्हीं हो मेरे मित्र
तुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैं
क्या वह तुम्हारा प्रेम था ?

मैंने हाथ छुड़ाकर
मुँह फेर लिया
मेरी आँखों में आँसू थे
यह भी तो प्रेम था ।