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<td align=center valign=top><font style="font-size:15px"><b>
आज बसंती चोला तेरा, मैं भी सज लूं, लाल बनूँ :ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में<br>तू भगिनी बन क्रांति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ |<br>ख़ुदा किसी से किसी को मगर जुदा न करे भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है:<br>संगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कुल किनारा है |<br>
</b></font>
कविता कोश में [[गोपाल सिंह नेपालीक़तील शिफ़ाई]]
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