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"आज भी रोये वन में कोयलिया/ काजी नज़रुल इस्लाम" के अवतरणों में अंतर

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23:15, 18 अगस्त 2011 का अवतरण

आज भी रोये वन में कोयलिया
चंपा कुञ्ज में आज गुंजन करे भ्रमरा -कुहके पापिया
प्रेम-कुञ्ज भी सूखा हाय!
प्राण -प्रदीप मेरे निहारो हाय!

कहीं बुझ न जाय विरही आओ लौट कर हाय!
तुम्हारा पथ निहारूं हे प्रिय निशिदिन
माला का फूल हुआ धूल में मलिन

जनम मेरा विफल हुआ