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"जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई / राजा मेंहदी अली खान" के अवतरणों में अंतर
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11:15, 19 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई, आप क्यूँ रोए
तबाही तो हमारे दिल पे आई, आप क्यूँ रोए
हमारा दर्दे ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं
ये क्यों आँसू हमारे आपकी आँखों से बहते हैं
ग़मों की आग हमने खुद लगाई, आप क्यूँ रोए
बहुत रोए मगर अब आपकी ख़ातिर ना रोएँगे
ना अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोऐंगे
क़यामत आपके अश्कों ने ढायी, आप क्यूँ रोए
ना ये आँसू रूके तो देखिए हम भी रो देंगे
हम अपने आँसुओं में चाँद-तारों को डुबो देंगे
फ़ना हो जाएगी सारी ख़ुदाई, आप क्यूँ रोए