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अंतिम अधिगम २०॰०८॰२०११

"कदाचित हर कोई जीवन के अंतिम क्षण तक हर पल कुछ-न-कुछ सीखता है और उसका अंतिम अधिगम मृत्यु है, क्या उसकी मृत्यु उसके जीवन में मृत्यु का प्रथम अनुभव नहीं ! और हाँ ! यह परमानन्दप्रद अधिगम अहस्तांतरणीय भी है इसे कोई किसी को भी नहीं दे सकता, गुरु शिष्य को भी नहीं, यहाँ जो आ गया है उसे स्वयं ही यह कला सीखनी पड़ेगी, मुझे भी ,तुम्हें भी ,उसे भी। ऒम शान्तिः शान्तिः शान्तिः !!!

--- संजय कुमार शर्मा