"कि ये आवाज़ मेरे लिए है / रवि प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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मैं कैसे समझूं | मैं कैसे समझूं | ||
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ये आवाज़ मेरे लिये है | ये आवाज़ मेरे लिये है | ||
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जबकि एक आहत आवाज़ | जबकि एक आहत आवाज़ | ||
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मेरे सामने गिरकर | मेरे सामने गिरकर | ||
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छटपटाती रहती है ! | छटपटाती रहती है ! | ||
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मेरी आँख ,जैसे बबूल की छाल | मेरी आँख ,जैसे बबूल की छाल | ||
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जिसमे तैरता है | जिसमे तैरता है | ||
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तुम्हारा चेहरा | तुम्हारा चेहरा | ||
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हिलता, कोतड्डों में गुम होता हुआ | हिलता, कोतड्डों में गुम होता हुआ | ||
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मेरा ह्रदय | मेरा ह्रदय | ||
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जो दबा रहता है | जो दबा रहता है | ||
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एक पत्थर के नीचे युगों से | एक पत्थर के नीचे युगों से | ||
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मुक्त होना चाहता है | मुक्त होना चाहता है | ||
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एक मुल्क की तरह | एक मुल्क की तरह | ||
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संगीनो ,क्रूर आँखों | संगीनो ,क्रूर आँखों | ||
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और कटीले तारों से जूझता हुआ | और कटीले तारों से जूझता हुआ | ||
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जिस पर एक कोयल बैठी है | जिस पर एक कोयल बैठी है | ||
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वो मेरे जख्मों का गीत गाती है | वो मेरे जख्मों का गीत गाती है | ||
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सरहद के पार | सरहद के पार | ||
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और मुझे राष्ट्रगीतों की धुन पर | और मुझे राष्ट्रगीतों की धुन पर | ||
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नाचने को कहा जाता है | नाचने को कहा जाता है | ||
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रेत और रक्त से सरहदों पर | रेत और रक्त से सरहदों पर | ||
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उलझा मेरा ह्रदय ,तुम्हे छूना चाहता है | उलझा मेरा ह्रदय ,तुम्हे छूना चाहता है | ||
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एक साबुत अखंड सौंदर्य | एक साबुत अखंड सौंदर्य | ||
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जो अब तक कहवाघरों की | जो अब तक कहवाघरों की | ||
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दीवारों से लड़कर लौट आती है | दीवारों से लड़कर लौट आती है | ||
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एक विस्थापित घूंट, जो सदियों से | एक विस्थापित घूंट, जो सदियों से | ||
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गले के नीचे जा रही है | गले के नीचे जा रही है | ||
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मैं वापस लौट रहा हूँ | मैं वापस लौट रहा हूँ | ||
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आवाज़ और शब्दों में | आवाज़ और शब्दों में | ||
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प्रेम और एक मुल्क तलाशता हुआ | प्रेम और एक मुल्क तलाशता हुआ | ||
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इसे बाँधो मत ,इसे खोल दो | इसे बाँधो मत ,इसे खोल दो | ||
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जिसकी ठंडी रेत पर मैं खेलता हूँ | जिसकी ठंडी रेत पर मैं खेलता हूँ | ||
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एक काली लंबी घनी रात है यह | एक काली लंबी घनी रात है यह | ||
− | जो आँखों में समाकर बंद हो जाती है | + | |
+ | जो आँखों में समाकर बंद हो जाती है | ||
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और अवाक् से होठ | और अवाक् से होठ | ||
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एक लकीर की तरह, मेरी कहानी पर | एक लकीर की तरह, मेरी कहानी पर | ||
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एक टुकड़ा मुल्क रख जाते हैं | एक टुकड़ा मुल्क रख जाते हैं | ||
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मैं तुम्हारे चेहरे पर ही विस्थापित हो जाता हूँ | मैं तुम्हारे चेहरे पर ही विस्थापित हो जाता हूँ | ||
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उन्माद को दबाए हुए | उन्माद को दबाए हुए | ||
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+ | कि कैसे समझूं ये आवाज़ मेरे लिए है |
12:13, 27 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
मैं कैसे समझूं
ये आवाज़ मेरे लिये है
जबकि एक आहत आवाज़
मेरे सामने गिरकर
छटपटाती रहती है !
मेरी आँख ,जैसे बबूल की छाल
जिसमे तैरता है
तुम्हारा चेहरा
हिलता, कोतड्डों में गुम होता हुआ
मेरा ह्रदय
जो दबा रहता है
एक पत्थर के नीचे युगों से
मुक्त होना चाहता है
एक मुल्क की तरह
संगीनो ,क्रूर आँखों
और कटीले तारों से जूझता हुआ
जिस पर एक कोयल बैठी है
वो मेरे जख्मों का गीत गाती है
सरहद के पार
और मुझे राष्ट्रगीतों की धुन पर
नाचने को कहा जाता है
रेत और रक्त से सरहदों पर
उलझा मेरा ह्रदय ,तुम्हे छूना चाहता है
एक साबुत अखंड सौंदर्य
जो अब तक कहवाघरों की
दीवारों से लड़कर लौट आती है
एक विस्थापित घूंट, जो सदियों से
गले के नीचे जा रही है
मैं वापस लौट रहा हूँ
आवाज़ और शब्दों में
प्रेम और एक मुल्क तलाशता हुआ
इसे बाँधो मत ,इसे खोल दो
जिसकी ठंडी रेत पर मैं खेलता हूँ
एक काली लंबी घनी रात है यह
जो आँखों में समाकर बंद हो जाती है
और अवाक् से होठ
एक लकीर की तरह, मेरी कहानी पर
एक टुकड़ा मुल्क रख जाते हैं
मैं तुम्हारे चेहरे पर ही विस्थापित हो जाता हूँ
उन्माद को दबाए हुए
कि कैसे समझूं ये आवाज़ मेरे लिए है