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"गाँवों से चौपाल, बातों से हँसी गुम हो गई / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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गाँवों से चौपाल, बातों से हँसी गुम हो गयी।
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गाँवों से चौपाल, बातों से हँसी गुम हो गयी।<br />
सादगी, संज़ीदगी, ज़िंदादिली गुम हो गयी।१।
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सादगी, संज़ीदगी, ज़िंदादिली गुम हो गयी।१।<br />
 
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क़ैद में थी बस तभी तक दासतानों में रही।
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क़ैद में थी बस तभी तक दासतानों में रही।<br />
द्वारिका जा कर मगर वो देवकी गुम हो गयी।२।
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वो ग़ज़ब ढाया है प्यारे आज के क़ानून ने।
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बढ़ गयी तनख़्वाह, लेकिन ग्रेच्युटी गुम गयी।३।
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चौधराहट के सहारे ज़िंदगी चलती नहीं।
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चौधराहट के सहारे ज़िंदगी चलती नहीं।<br />
देख लो यू. एस. की भी हेकड़ी गुम हो गयी।४।
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देख लो यू. एस. की भी हेकड़ी गुम हो गयी।४।<br />
 
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आज़ भी ‘इक़बाल’ का ‘सारे जहाँ’ मशहूर है।  
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आज़ भी ‘इक़बाल’ का ‘सारे जहाँ’ मशहूर है। <br />
कौन कहता है जहाँ से शायरी गुम हो गयी।५।
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कौन कहता है जहाँ से शायरी गुम हो गयी।५।<br />

21:42, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

गाँवों से चौपाल, बातों से हँसी गुम हो गयी।
सादगी, संज़ीदगी, ज़िंदादिली गुम हो गयी।१।

क़ैद में थी बस तभी तक दासतानों में रही।
द्वारिका जा कर मगर वो देवकी गुम हो गयी।२।

वो ग़ज़ब ढाया है प्यारे आज के क़ानून ने।
बढ़ गयी तनख़्वाह, लेकिन ग्रेच्युटी गुम गयी।३।

चौधराहट के सहारे ज़िंदगी चलती नहीं।
देख लो यू. एस. की भी हेकड़ी गुम हो गयी।४।

आज़ भी ‘इक़बाल’ का ‘सारे जहाँ’ मशहूर है।
कौन कहता है जहाँ से शायरी गुम हो गयी।५।