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"आदमीयत की वक़ालत कर रहा है आदमी / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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21:44, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
आदमीयत की वक़ालत कर रहा है आदमी|
यूँ उज़ालों की हिफ़ाज़त कर रहा है आदमी|१|
सिर्फ ये पूछा - भला क्या अर्थ है अधिकार का|
वो समझ बैठे, बग़ावत कर रहा है आदमी|२|
छीन कर कुर्सी, अदालत में घसीटा है फ़क़त|
चोट खा कर भी, शराफ़त कर रहा है आदमी|३|
आँखें मूंदे टेक्स भरता जा रहा है बेहिसाब|
अनपढ़ों के जैसी हरक़त कर रहा है आदमी|४|
जब ये चाहेगा बदल देगा ज़माने का मिजाज़|
सिर्फ क़ानूनों की इज्ज़त कर रहा है आदमी |५|
सल्तनत के तख़्त के नीचे है लाशों की परत|
कैसे हम कह दें, हुक़ूमत कर रहा है आदमी|६|
मुद्दतों से शह्र की ख़ामोशियाँ यह कह रहीं|
आज कल भेड़ों की सुहबत कर रहा है आदमी|७|