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"हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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21:49, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी|
देख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी|१|

क्षृंगार रस:- कनखियों से देखना - पानी में पत्थर फेंकना|
काश फिर से वो ही मंज़र दोहराये ज़िंदगी|२|

हास्य रस:- इश्क़ हो जाये रफू चक्कर झपकते ही पलक|
जब छरहरे जिस्म को गुम्बद बनाये ज़िंदगी|३|

करुण रस:- दिन को मजदूरी, पढ़ाई रात में करते हैं जो|
देख कर उन लाड़लों को, बिलबिलाये ज़िंदगी|४|

रौद्र रस:- भावनाओं के बहाने, दिल से जब खेले कोई|
देख कर ये खेल झूठा, तमतमाये ज़िंदगी |५|

वीर रस:- जब हमारे हक़ हमें ता उम्र मिल पाते नहीं |
दिल ये कहता है, न क्यूँ खंज़र उठाये ज़िन्दगी |६|

भयानक रस:- जिस जगह पर, चीख औरत की, खुशी का हो सबब|
बेटियों को उस जगह ले के न जाये ज़िंदगी |७|

वीभत्स रस:- आदमी को आदमी खाते जहाँ पर भून कर |
उस जगह जाते हुए भी ख़ौफ़ खाये ज़िंदगी |८|

अद्भुत रस:- एक बकरी दर्जनों शेरों को देती है हुकुम|
देखिए सरकार क्या क्या गुल खिलाये ज़िंदगी|९|

शांत रस:- बस्तियों की हस्तियों की मस्तियों को देख कर|
दिल कहे अब शांत हो कर गीत गाये ज़िंदगी|१०|