"हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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हाथ में 'आटा' लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी|
देख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी|१|
क्षृंगार रस:-
कनखियों से देखना - पानी में पत्थर फेंकना|
काश फिर से वो ही मंज़र दोहराये ज़िंदगी|२|
हास्य रस:-
इश्क़ हो जाये रफू चक्कर झपकते ही पलक|
जब छरहरे जिस्म को गुम्बद बनाये ज़िंदगी|३|
करुण रस:-
दिन को मजदूरी, पढ़ाई रात में करते हैं जो|
देख कर उन लाड़लों को, बिलबिलाये ज़िंदगी|४|
रौद्र रस:-
भावनाओं के बहाने, दिल से जब खेले कोई|
देख कर ये खेल झूठा, तमतमाये ज़िंदगी |५|
वीर रस:-
जब हमारे हक़ हमें ता उम्र मिल पाते नहीं |
दिल ये कहता है, न क्यूँ खंज़र उठाये ज़िन्दगी |६|
भयानक रस:-
जिस जगह पर, चीख औरत की, खुशी का हो सबब|
बेटियों को उस जगह ले के न जाये ज़िंदगी |७|
वीभत्स रस:-
आदमी को आदमी खाते जहाँ पर भून कर |
उस जगह जाते हुए भी ख़ौफ़ खाये ज़िंदगी |८|
अद्भुत रस:-
एक बकरी दर्जनों शेरों को देती है हुकुम|
देखिए सरकार क्या क्या गुल खिलाये ज़िंदगी|९|
शांत रस:-
बस्तियों की हस्तियों की मस्तियों को देख कर|
दिल कहे अब शांत हो कर गीत गाये ज़िंदगी|१०|