भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो|<br /> मगर, यूँ लगता है अब तो, मेरा क़ु…)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो|<br />
+
{{KKGlobal}}
मगर, यूँ लगता है अब तो, मेरा क़ुसूर था वो|१|<br />
+
{{KKRachna
<br />
+
|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी
चली हवा तो पतंगे सा उड़ गया पल में|<br />
+
}}
बताया लोगों ने मुझको, मेरा ग़ुरूर था वो|२|<br />
+
{{KKCatGhazal}}
<br />
+
<poem>
वो जो हसीन परी का ख़याल था दिल में|<br />
+
निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो
सही कहूं, तो ख़यालात का फ़ितूर था वो|३|<br />
+
मगर, यूँ लगता है अब तो, मेरा क़ुसूर था वो
<br />
+
 
फ़क़ीर दिल ने इरादा बदल दिया, वरना|<br />
+
चली हवा तो पतंगे सा उड़ गया पल में
वो चाँद बाँहों में ही था, न मुझसे दूर था वो|४|<br />
+
बताया लोगों ने मुझको, मेरा ग़ुरूर था वो
 +
 
 +
वो जो हसीन परी का ख़याल था दिल में
 +
सही कहूं, तो ख़यालात का फ़ितूर था वो
 +
 
 +
फ़क़ीर दिल ने इरादा बदल दिया, वरना
 +
वो चाँद बाँहों में ही था, न मुझसे दूर था वो</poem>

22:22, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो
मगर, यूँ लगता है अब तो, मेरा क़ुसूर था वो

चली हवा तो पतंगे सा उड़ गया पल में
बताया लोगों ने मुझको, मेरा ग़ुरूर था वो

वो जो हसीन परी का ख़याल था दिल में
सही कहूं, तो ख़यालात का फ़ितूर था वो

फ़क़ीर दिल ने इरादा बदल दिया, वरना
वो चाँद बाँहों में ही था, न मुझसे दूर था वो