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"तस्लीमा नसरीन : पांच / अग्निशेखर" के अवतरणों में अंतर
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18:21, 30 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
पूछने कि हम्मत भी नहीं होती
अब कहाँ हो
कैसी हो
क्या सुनी जा सकती है फोन पर
तुम्हारी आवाज़
क्या पूछने पर किसी से पता चल सकता है
तुम्हारा ठौर-ठिकाना
मै भेजता पुराने दिनों कि तरह
कबूतर के पंजे से बंधी
एक चिट्ठी
कहने की हिम्मत नही होती
दया करो
खत
खटटर खटटर चल रहे
पंखे-से हमारे दिनों पर.