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"आज होली जल रही है ! / मनुज देपावत" के अवतरणों में अंतर
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राज्य -लिप्सा के नशे में, विहँसता है आज दानव ! | राज्य -लिप्सा के नशे में, विहँसता है आज दानव ! | ||
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स्वर्ण सत्ता के सहारे , नग्न होकर नाचता नर ! | स्वर्ण सत्ता के सहारे , नग्न होकर नाचता नर ! | ||
शक्तिशाली दीन-शोणित पी रहा है पेट भर भर ! | शक्तिशाली दीन-शोणित पी रहा है पेट भर भर ! | ||
− | आज | + | आज पृथ्वी पर पिशाचों की ठिठोली चल रही है ! |
आज होली जल रही है ! | आज होली जल रही है ! | ||
− | आज अबला नारियों की ,लाज लुटती जा रही है ! | + | आज अबला नारियों की, लाज लुटती जा रही है ! |
चक्षु में चिंगारियों की ज्वाल जुटती जा रही है ! | चक्षु में चिंगारियों की ज्वाल जुटती जा रही है ! | ||
− | दलित -जीवन-पात्र में अब | + | दलित-जीवन-पात्र में अब हिंस्र होली ढल रही है ! |
आज होली जल रही है ! | आज होली जल रही है ! | ||
− | + | सृष्टि में शीतल सुमन भी खिल सकेंगे आज कैसे ! | |
− | स्वार्थ से उन्मत्त मानव ,मिल सकेंगे आज कैसे ! | + | स्वार्थ से उन्मत्त मानव, मिल सकेंगे आज कैसे ! |
रक्त शोषण की भयंकर भावना जो पल रही है ! | रक्त शोषण की भयंकर भावना जो पल रही है ! | ||
आज होली जल रही है ! | आज होली जल रही है ! | ||
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06:08, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
राज्य -लिप्सा के नशे में, विहँसता है आज दानव !
दासता के पात में जो, पिस रहा है आज मानव !
आज उसकी आह से धन की हवेली हिल रही है !
आज होली जल रही है !
स्वर्ण सत्ता के सहारे , नग्न होकर नाचता नर !
शक्तिशाली दीन-शोणित पी रहा है पेट भर भर !
आज पृथ्वी पर पिशाचों की ठिठोली चल रही है !
आज होली जल रही है !
आज अबला नारियों की, लाज लुटती जा रही है !
चक्षु में चिंगारियों की ज्वाल जुटती जा रही है !
दलित-जीवन-पात्र में अब हिंस्र होली ढल रही है !
आज होली जल रही है !
सृष्टि में शीतल सुमन भी खिल सकेंगे आज कैसे !
स्वार्थ से उन्मत्त मानव, मिल सकेंगे आज कैसे !
रक्त शोषण की भयंकर भावना जो पल रही है !
आज होली जल रही है !