भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जब देखता हूं / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (जब देखता हूं / साँवर दइया का नाम बदलकर जब देखता हूं / सांवर दइया कर दिया गया है)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:52, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूँ
जव देखता हूँ आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूँ
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूँ
अपना दुख -
यह धरती : मेरी माँ !
यह आकाश : मेरा पिता !

अनुवाद : नीरज दइया