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"अब हलो हाय में ही बात हुआ करती है / 'अना' क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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अब हलो हाय में ही  बात  हुआ करती है  
 
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रास्ता  चलते  मुलाक़ात  हुआ  करती है  
 
रास्ता  चलते  मुलाक़ात  हुआ  करती है  
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उससे कहना के वो मौसम के न चक्कर में रहे
 
उससे कहना के वो मौसम के न चक्कर में रहे
गर्मियों में  भी  तो  बरसात  हुआ  करती है
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गर्मियों में  भी  तो  बरसात  हुआ  करती है</poem>

20:04, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

अब हलो हाय में ही बात हुआ करती है
रास्ता चलते मुलाक़ात हुआ करती है

दिन निकलता है तो चल पड़ता हूं सूरज की तरह
थक के गिर पड़ता हूं जब रात हुआ करती है

रोज़ इक ताज़ा ग़ज़ल कोई कहां तक लिक्खे
रोज़ ही तुझमें नयी बात हुआ करती है

हम वफ़ा पेशा तो इनआम समझते हैं उसे
इन रईसों की वो खै़रात हुआ करती है

अब तो मज़हब की फ़क़त इतनी ज़रूरत है यहां
आड़ में इसके खुराफात हुआ करती है

उससे कहना के वो मौसम के न चक्कर में रहे
गर्मियों में भी तो बरसात हुआ करती है