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"बाबा अब तो आँखें खोल / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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जीवन नैया डांवांडोल | जीवन नैया डांवांडोल |
15:56, 7 सितम्बर 2011 का अवतरण
प्यार में बिक जाये बेमोल
इक गुड़िया है गोल-मटोल
जीवन नैया डांवांडोल
बाबा अब तो आँखें खोल
खुल जायेगी तेरी पोल
खुद को इतना भी न टटोल
कौन यहाँ किसको क्या दे
सबके हाथों में कशकोल
आज हादसा नहीं हुआ
जश्न मनाओ, पीटो ढोल
जो बिछुड़ा वो फिर न मिला
हम समझे थे दुनिया गोल
क्यों मुश्किल में पड़ता है
सबकी बातों पर हाँ बोल
सोने पर लोहा भारी
वक़्त आ गया लोहा तोल