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"बाबा अब तो आँखें खोल / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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प्यार में बिक जाये बेमोल
 
इक गुड़िया है गोल-मटोल
 
 
 
जीवन नैया डांवांडोल
 
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बाबा अब तो आँखें खोल
 
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खुल जायेगी तेरी पोल
 
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खुद को इतना भी न टटोल
 
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प्यार में बिक जाये अनमोल
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इक गुड़िया है गोल-मटोल
  
 
कौन यहाँ किसको क्या दे
 
कौन यहाँ किसको क्या दे

15:57, 7 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

जीवन नैया डांवांडोल
बाबा अब तो आँखें खोल

खुल जायेगी तेरी पोल
खुद को इतना भी न टटोल

प्यार में बिक जाये अनमोल
इक गुड़िया है गोल-मटोल

कौन यहाँ किसको क्या दे
सबके हाथों में कशकोल

आज हादसा नहीं हुआ
जश्न मनाओ, पीटो ढोल

जो बिछुड़ा वो फिर न मिला
हम समझे थे दुनिया गोल

क्यों मुश्किल में पड़ता है
सबकी बातों पर हाँ बोल

सोने पर लोहा भारी
वक़्त आ गया लोहा तोल