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"अजनबी खुद को लगे हम / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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तुम से मिलकर जब बने हम | तुम से मिलकर जब बने हम | ||
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सुबह को आँखों में रख कर | सुबह को आँखों में रख कर | ||
रात भर पल - पल जले हम | रात भर पल - पल जले हम | ||
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इस ज़मीं से आसमां तक | इस ज़मीं से आसमां तक | ||
था जुनूँ उलझे रहे हम | था जुनूँ उलझे रहे हम | ||
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जीस्त के रस्ते बहुत थे | जीस्त के रस्ते बहुत थे | ||
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लफ्ज़ जब उरियाँ हुए तो | लफ्ज़ जब उरियाँ हुए तो | ||
फिर बहुत रुसवा हुए हम | फिर बहुत रुसवा हुए हम | ||
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जागने का ख़्वाब ले कर | जागने का ख़्वाब ले कर |
16:09, 7 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
अजनबी खुद को लगे हम
इस कदर तन्हा हुए हम
उम्र भर इस सोच में थे
क्या कभी सोचे गए हम
खूबसूरत ज़िंदगी थी
तुम से मिलकर जब बने हम
चाँद दरिया में खड़ा था
आसमाँ तकते रहे हम
सुबह को आँखों में रख कर
रात भर पल - पल जले हम
खो गए हम भीड़ में जब
फिर बहुत ढूँढे गए हम
इस ज़मीं से आसमां तक
था जुनूँ उलझे रहे हम
जीस्त के रस्ते बहुत थे
हर तरफ रोके गए हम
लफ्ज़ जब उरियाँ हुए तो
फिर बहुत रुसवा हुए हम
जागने का ख़्वाब ले कर
देर तक सोते रहे हम
तेरे सच को पढ़ लिया था
बस इसी खातिर मिटे हम