भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अभिप्राय / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=फिर मैं फिर से फिर कर आता /…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:03, 9 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
अपनी वर्णमाला और शैलियों का
टोकरा उठाए
बेचते हैं
शहर की गलियों में अभिप्राय
नितांत अबूझे
विचार नहीं शब्द।
सिर्फ कारीगरी, सजावट
और विशेषण-विशेषज्ञ के
तुष्ट होता अहं।