{{KKRachnakaarParichay
|रचनाकार=नीरज दइयाकन्हैया लाल सेठिया
}}<poem>'''महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया'''
अध्ययन : बी.ए.
निधन : 11 नवंबर 2008
राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि है। जन्म राजस्थान के चूरु जिले के सुजानगढ़ शहर में हुआ।
कुछ कृतियाँ है:- रमणियां रा सोरठा , गळगचिया , मींझर , कूंकंऊ , लीलटांस , धर कूंचा धर मंजळां , मायड़ रो हेलो , सबद , सतवाणी , अघरीकाळ , दीठ , क क्को कोड रो , लीकलकोळिया एवं हेमाणी ।
पद्मश्री (2004) सेठिया जी को लीलटांस राजस्थानी कविता संग्रह पर साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली का पुरस्कार प्रदान किया गया तथा वर्ष 1988 में ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से भी सम्मानित किया गया। आ तो सुरगा नै सरमावै, ई पै देव रमन नै आवे .......... धरती धोराँ री हो अथवा अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावडो ले भाग्यो....जैसी अनेक रचनाएं अति लोकप्रिय और सर्वविदित अमर रचनाएं हैं।
कुछ कृतियाँ है:-
'''राजस्थानी'''
रमणियां रा सोरठा , गळगचिया , मींझर , कूंकंऊ , लीलटांस , धर कूंचा धर मंजळां , मायड़ रो हेलो , सबद , सतवाणी , अघरीकाळ , दीठ , क क्को कोड रो , लीकलकोळिया एवं हेमाणी
'''हिन्दी'''
वनफूल , अग्णिवीणा , मेरा युग , दीप किरण , प्रतिबिम्ब , आज हिमालय बोला, खुली खिड़कियां चौड़े रास्ते , प्रणाम , मर्म , अनाम, निर्ग्रन्थ , स्वागत , देह-विदेह , आकाशा गंगा , वामन विराट , श्रेयस , निष्पति एवं त्रयी ।
'''उर्दू'''
ताजमहल एवं गुलचीं ।
'''सम्मान, पुरस्कार एवं अलंकरण'''