भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ठिकाना / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=फिर मैं फिर से फिर कर आता /…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:07, 10 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
शहर की
उस बेतरतीब गली के मुहाने
हुआ पीला घर
बन गई है वह मेरी गली
मुकाम-पोस्ट
और जिला-तालुका
सब अपने-आप जुड़ जाते हैं
मैं चाहता हूं
घर बदलूं
लगाना पड़ै कैयर ऑफ
देना पड़े किराया
घर अच्छा-सा लूं
होना चाहिए
थोड़ा पंप एंड शो
कुछ पाना है तो
लाजिमी है कुछ खो।