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श्याम बिनु आई वृंदावन सुन

शोभा उड़ि गगन बीच लागल गोकुल पड़ल दुख पुन
कत राखब, कत हृदय लगायब, कत सुनायब हरि गुन
ब्रजबाल सब विकल होतु है, दैथ बईसल सर धुनि
सुरदास प्रभु तुम्हरे दरस को गोकुल आओत हरि पुन
 


यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से