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"आज तो पूनो मचल पड़ी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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आज तो पूनो मचल पड़ी
 
आज तो पूनो मचल पड़ी

02:49, 11 अक्टूबर 2007 का अवतरण

आज तो पूनो मचल पड़ी


अलकों में मुक्ताहल भरके

भाल बीच शशि बेंदी भर के

हँसी सिंगार सोलहों करके

नभ पर खड़ी खड़ी


फूलों ने की हँसी ठिठोली

किसे रिझाने चातकी बोली

वह न लाज से हिली न डोली

भू में गड़ी गड़ी


चंदन चर्चित अंग सुहावन

झिलमिल स्वर्नांचल मन भावन

चम्पक वर्ण, कपोल लुभावन

आँखें बड़ी बड़ी


आज तो पूनो मचल पड़ी