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"'अना' क़ासमी / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में  
 
से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में  
 
मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं ।
 
मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं ।
                              '''डॉ. बशीर बद्र  
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'डॉ. बशीर बद्र
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19:50, 13 सितम्बर 2011 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय नाम : मौलाना हारून ‘अना’ क़ासमी जन्म : 28 फरवरी 1966 जन्म स्थान : छतरपुर (म.प्र.) पिता का नाम : हाजी मुहम्मद जमील निज़ामी माता का नाम : मरियम खातून शिक्षा : नदवतुल-उलमा, लखनऊ से आलिमियत का कोर्स, दारूल-उलूम देवबन्द से फ़ज़ीलत की डिग्री 1989 में लेखन विधाएं : ग़ज़ल एवं नज़्म उपलब्धियां : ग़ज़ल संग्रह ‘हवाओं के साज़ पर अयन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित : देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित । कई बड़े मंचों पर रचनापाठ सम्मान : नगरपालिका छतरपुर के ज़रिये श्रेष्ठ शायर सम्मान, सम्पर्क : हेल्प लाइन कम्प्यूटर सेल्स, आकाशवाणी तिराहा, छतरपुर (म.प्र.) पिन-471001 मोबाइल नम्बर - 9826506125 -:संस्तुतिः-(डॉ. बशीर बद्र द्वारा ‘हवाओं के साज़ पर’ किताब से) मौलाना हारून अना क़ासमी ऐसे नौजवान ग़ज़ल के शायर हैं जिनके फिक्रोफ़न में इनकी सच्ची रियाज़त वसीअ मुतालआ शायराना सदाकत है । इनके अच्छे शेरों में ग़ज़ल की सदियों की परम्पराएं अपने ज़माने से बड़े प्यार से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं । 'डॉ. बशीर बद्र