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"अपवाद / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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23:36, 6 सितम्बर 2007 का अवतरण


जब सब वाह वाह कर रहे हों

जब पूरे मुल्क में एक ही नाम का जाप हो

तब मैं उठूंगा और कहूंगा--

और सब तो ठीक, पर उस इन्सान में

एक ख़राबी भी थी,

वो यह कि लोग जब खाने बैठते

वह नाक में उंगली कोंच लेता ।


जब सब थू थू कर रहे हों

जब मौत के बाद भी फाँसी की मांग हो

तब मैं उठूंगा और कहूंगा--

ख़ुदा के बन्दों, उस हैवान में एक

अच्छाई भी थी,

वो यह कि जब लोग एक साथ सोए

उसने कभी अकेले मसहरी नहीं बाँधी ।