भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माँ तो बस माँ ही होती है / भारती पंडित" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारती पंडित |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> बच्चो को भरपेट …) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है | बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है | ||
माँ तो बस माँ ही होती है . | माँ तो बस माँ ही होती है . | ||
+ | |||
बच्चों की चंचल अठखेली देख देख खुश होती है | बच्चों की चंचल अठखेली देख देख खुश होती है | ||
बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है | बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है | ||
माँ तो बस माँ ही होती है . | माँ तो बस माँ ही होती है . | ||
+ | |||
देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है | देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है | ||
बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है | बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है | ||
माँ तो बस माँ ही होती है . | माँ तो बस माँ ही होती है . | ||
+ | |||
बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है | बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है | ||
जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है | जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है |
13:44, 15 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है
माँ तो बस माँ ही होती है .
बच्चों की चंचल अठखेली देख देख खुश होती है
बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है
माँ तो बस माँ ही होती है .
देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है
बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है
माँ तो बस माँ ही होती है .
बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है
जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है
माँ तो बस माँ ही होती है .