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"माँ तो बस माँ ही होती है / भारती पंडित" के अवतरणों में अंतर

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बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है
 
बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है
 
माँ तो बस माँ ही होती है .
 
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बच्चों की चंचल अठखेली देख देख खुश होती है
 
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बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है
 
बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है
 
माँ तो बस माँ ही होती है .
 
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देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है
 
देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है
 
बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है
 
बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है
 
माँ तो बस माँ ही होती है .
 
माँ तो बस माँ ही होती है .
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बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है
 
बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है
 
जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है
 
जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है

13:44, 15 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण


बच्चो को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है
माँ तो बस माँ ही होती है .

बच्चों की चंचल अठखेली देख देख खुश होती है
बचपन के हर सुन्दर पल को बना याद संजोती है
माँ तो बस माँ ही होती है .

देख तरक्की बच्चों की वो आस के मोती पोती है
बच्चों की खुशहाली में वो अपना जीवन खोती है
माँ तो बस माँ ही होती है .

बच्चों की बदली नज़रों से नहीं शिकायत होती है
जब-जब झुकता सर होठों पर कोई दुआ ही होती है
माँ तो बस माँ ही होती है .