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"यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनो के बाद / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

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शाखों पे फ़ूल हैं  खिले इतने  दिनो के बाद  
 
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चंचल  हवाएं  शोख-सीं पानी  पे तिर गईं
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चंचल  हवाएं  शोख-सी पानी  पे तिर गईं
 
थे दो  किनारे यूं मिले इतने  दिनो के बाद  
 
थे दो  किनारे यूं मिले इतने  दिनो के बाद  
  

10:54, 16 सितम्बर 2011 का अवतरण


यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनो के बाद
आएं हैं दिन बहार के इतने दिनो के बाद
                                                                                                    
शौहरत कि चाह लोगों को उर्यां थी कर गई
लेकिन वो राज़ अब खुले इतने दिनो के बाद

सहरा में क्या जमाल है चंदन के पेड़ पर
शाखों पे फ़ूल हैं खिले इतने दिनो के बाद

चंचल हवाएं शोख-सी पानी पे तिर गईं
थे दो किनारे यूं मिले इतने दिनो के बाद

"आज़र" तमाम रात मैं सोया हूं चैन से
सपने सुहाने आए थे इतने दिनो के बाद