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"बनी तस्वीर या बिगडी, जहाँ में रंग भर आए / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

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मुकद्दर इससे बढ कर तू, हमें क्या दे भी सकता है
 
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खुदा का जिक्र आते ही, तेरा चेहरा नजर आए
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खुदा का जिक्र आते ही, तेरा चेहरा नज़र आए
  
 
मैं सोते-जागते हरदम खुदा से यह दुआ माँगू
 
मैं सोते-जागते हरदम खुदा से यह दुआ माँगू

11:17, 16 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण


बनी तस्वीर या बिगडी, जहाँ में रंग भर आए
हमें जो काम करने थे, सभी वो काम कर आए

तरसता हूँ मैं मुद्दत से, तेरे दीदार को जालिम
तलब है किस कदर तेरी, कि तेरी कब खबर आए

मुकद्दर इससे बढ कर तू, हमें क्या दे भी सकता है
खुदा का जिक्र आते ही, तेरा चेहरा नज़र आए

मैं सोते-जागते हरदम खुदा से यह दुआ माँगू
किसी पत्थर की हद में, अब न शीशे का नगर आए

बसा है ख्वाब में मेरे, अजब अरमान का मंजर
अभी कुछ आस है‘’आज़र’न जाने कब डगर आए