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"चीन्हूँ मैं चीन्हूँ तुम्हें ओ,विदेशिनी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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चीन्हूँ मैं चीन्हूँ तुम्हें ओ, विदेशिनी ! | चीन्हूँ मैं चीन्हूँ तुम्हें ओ, विदेशिनी ! | ||
ओ, निवासिनी सिंधु पार की- | ओ, निवासिनी सिंधु पार की- | ||
− | देखा है मैंने तुम्हें देखा, शरत प्रात में माधवी रात में, | + | देखा है मैंने तुम्हें देखा, शरत प्रात में, माधवी रात में, |
खींची है हृदय में मैंने रेखा, विदेशिनी !! | खींची है हृदय में मैंने रेखा, विदेशिनी !! | ||
सुने हैं,सुने हैं तेरे गान, नभ से लगाए हुए कान, | सुने हैं,सुने हैं तेरे गान, नभ से लगाए हुए कान, | ||
सौंपे हैं तुम्हें ये प्राण, विदेशिनी !! | सौंपे हैं तुम्हें ये प्राण, विदेशिनी !! | ||
− | घूमा भुवन भर आया नए देश, | + | घूमा भुवन भर, आया नए देश, |
मिला तेरे द्वार का सहारा विदेशिनी !! | मिला तेरे द्वार का सहारा विदेशिनी !! | ||
अतिथि हूँ अतिथि, मैं तुम्हारा विदेशिनी !! | अतिथि हूँ अतिथि, मैं तुम्हारा विदेशिनी !! |
12:07, 16 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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चीन्हूँ मैं चीन्हूँ तुम्हें ओ, विदेशिनी !
ओ, निवासिनी सिंधु पार की-
देखा है मैंने तुम्हें देखा, शरत प्रात में, माधवी रात में,
खींची है हृदय में मैंने रेखा, विदेशिनी !!
सुने हैं,सुने हैं तेरे गान, नभ से लगाए हुए कान,
सौंपे हैं तुम्हें ये प्राण, विदेशिनी !!
घूमा भुवन भर, आया नए देश,
मिला तेरे द्वार का सहारा विदेशिनी !!
अतिथि हूँ अतिथि, मैं तुम्हारा विदेशिनी !!
मूल बांगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल