भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आपकी याद आती रही रात भर / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र" }} {{KKCatGhazal}} <poem> आपकी याद आती …)
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
शब निगाहों को भाती रही रात भर
 
शब निगाहों को भाती रही रात भर
  
मैने तुझको भुलया तो दिल से मगर
+
मैने तुझको भुलाया तो दिल से मगर
 
याद सीना जलाती रही रात भर
 
याद सीना जलाती रही रात भर
  

16:14, 17 सितम्बर 2011 का अवतरण


आपकी याद आती रही रात भर
नींद नखरे दिखाती रही रात भर

अक्स दीपक का दरिया में पड़ता रहा
रौशनी झिलमिलाती रही रात भर

चाँद उतरा हो आँगन में जैसे मेरे
शब निगाहों को भाती रही रात भर

मैने तुझको भुलाया तो दिल से मगर
याद सीना जलाती रही रात भर

वो मिला ही कहाँ और चला भी गया
बस हवा दर हिलाती रही रात भर