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"यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनो के बाद / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"" के अवतरणों में अंतर

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यूं मुस्करा तुम मिले  इतने  दिनो के बाद  
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यूं मुस्करा तुम मिले  इतने  दिनों के बाद  
आएं हैं दिन बहार के  इतने  दिनो के बाद  
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आएं हैं दिन बहार के  इतने दिनों के बाद  
 
                                                                                                      
 
                                                                                                      
 
शौहरत कि चाह लोगों को उर्यां थी कर गई  
 
शौहरत कि चाह लोगों को उर्यां थी कर गई  
लेकिन वो राज़ अब खुले इतने दिनो के बाद  
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लेकिन वो राज़ अब खुले इतने दिनों  के बाद  
  
 
सहरा में क्या  जमाल  है चंदन  के पेड़ पर  
 
सहरा में क्या  जमाल  है चंदन  के पेड़ पर  
शाखों पे फ़ूल हैं  खिले इतने  दिनो के बाद  
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शाखों पे फ़ूल हैं  खिले इतने दिनों के बाद  
  
 
चंचल  हवाएं  शोख-सी  पानी  पे तिर गईं
 
चंचल  हवाएं  शोख-सी  पानी  पे तिर गईं
थे दो  किनारे यूं मिले इतने  दिनो के बाद  
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थे दो  किनारे यूं मिले इतने दिनों के बाद  
  
 
"आज़र"  तमाम  रात मैं  सोया  हूं चैन से  
 
"आज़र"  तमाम  रात मैं  सोया  हूं चैन से  
सपने सुहाने आए थे  इतने  दिनो के बाद  
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सपने सुहाने आए थे  इतने दिनों के बाद  
  
 
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17:08, 17 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण


यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनों के बाद
आएं हैं दिन बहार के इतने दिनों के बाद
                                                                                                    
शौहरत कि चाह लोगों को उर्यां थी कर गई
लेकिन वो राज़ अब खुले इतने दिनों के बाद

सहरा में क्या जमाल है चंदन के पेड़ पर
शाखों पे फ़ूल हैं खिले इतने दिनों के बाद

चंचल हवाएं शोख-सी पानी पे तिर गईं
थे दो किनारे यूं मिले इतने दिनों के बाद

"आज़र" तमाम रात मैं सोया हूं चैन से
सपने सुहाने आए थे इतने दिनों के बाद