भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वज़ू के बाद / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा }} {{KKCatKavita}} <Poem> मैं कि कहता ह…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:07, 18 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
मैं कि कहता हूँ मेरे पास रहो
तुम कि कहती हो तुमसे दूर कहाँ
मैं कि कहता हूँ मेरे साथ रहो
तुम कि कहती हो तुम तन्हा नहीं
अजीब रंग में कुछ अजीब रातों में
कहा ये तुमने यूँ ही बातों-बातों में
नमाज़ मैंने पढ़ी है बेवज़ू दफ़्फ़तन
याद करती हूँ मैं तुमको वज़ू के बाद