भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नज़्म लौटा दो / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा }} {{KKCatKavita}} <Poem> एक कदम पहले म…)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:35, 18 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

एक कदम पहले मुस्कुराहट से
कुछ दूर बाद हँसी की आहट से
नज़्म यहीं कहीं अटक गई है
मेरी रूह शायद भटक गई है
अपनी लौ के साथ उलझता हुआ
चिराग़े–याद जलता बुझता हुआ
आँखों में सुलगती उम्मीद कैसी
जा-ब-जा हर वक़्त ये दीद कैसी
दर्द के रिश्तों की आजमाईश है
सदियों से मेरी एक ही ख्वाहिश है
अपने होठों से मुस्कुरा दो मुझे
या फिर मेरी नज़्म लौटा दो मुझे