भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मौसम ठहर जाए / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Om nishchal (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम निश्चल |संग्रह=शब्दि सक्रिय हैं }} {{KKCatNavgeet}} <Poem> म…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
मेघ का, मल्हार का | मेघ का, मल्हार का | ||
मौसम ठहर जाए, | मौसम ठहर जाए, | ||
− | कुछ करो | + | कुछ करो- |
− | यह प्यार का मौसम ठहर | + | यह प्यार का मौसम ठहर जाए । |
जल रहा मन आज | जल रहा मन आज | ||
सुधियों के अंगारों में, | सुधियों के अंगारों में, | ||
− | दर्द कुछ | + | दर्द कुछ हल्का हुआ है |
इन फुहारों में, | इन फुहारों में, | ||
रुप का, अभिसार का | रुप का, अभिसार का | ||
− | मौसम ठहर | + | मौसम ठहर जाए । |
− | कुछ करो | + | कुछ करो- |
− | यह प्यार का मौसम ठहर | + | यह प्यार का मौसम ठहर जाए । |
बादलों की गंध में | बादलों की गंध में | ||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
जीत का, यह हार का | जीत का, यह हार का | ||
मौसम ठहर जाए, | मौसम ठहर जाए, | ||
− | कुछ करो | + | कुछ करो- |
− | यह | + | यह प्यार का मौसम ठहर जाए । |
− | तुम | + | तुम सुनाओ ग़ज़ल कोई |
गीत हम गाऍं, | गीत हम गाऍं, | ||
− | + | क्या पता हम-तुम | |
कहीं फिर दूर हो जाऍं, | कहीं फिर दूर हो जाऍं, | ||
मान का, मनुहार का | मान का, मनुहार का | ||
मौसम ठहर जाए, | मौसम ठहर जाए, | ||
− | कुछ करो | + | कुछ करो- |
− | यह प्यार का मौसम ठहर | + | यह प्यार का मौसम ठहर जाए । |
<Poem> | <Poem> |
23:15, 20 सितम्बर 2011 का अवतरण
मेघ का, मल्हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
जल रहा मन आज
सुधियों के अंगारों में,
दर्द कुछ हल्का हुआ है
इन फुहारों में,
रुप का, अभिसार का
मौसम ठहर जाए ।
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
बादलों की गंध में
खोया हुआ है मन,
हो रही शिराओं में
सावनी सिहरन
जीत का, यह हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
तुम सुनाओ ग़ज़ल कोई
गीत हम गाऍं,
क्या पता हम-तुम
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
मान का, मनुहार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।