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"मेघदूत-सा मन / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर
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मेघदूत-सा मन मेरा है। | मेघदूत-सा मन मेरा है। | ||
− | दूध धुले हैं पॉंव | + | दूध धुले हैं पॉंव तुम्हारे |
अंग-अंग दिखती उबटन है | अंग-अंग दिखती उबटन है | ||
मेरी जन्मुकुंडली जिसमें | मेरी जन्मुकुंडली जिसमें | ||
लिखी हुई हर पल भटकन है | लिखी हुई हर पल भटकन है | ||
− | कैसे चलूँ | + | कैसे चलूँ तुम्हारे द्वारे |
तुम रतनारी,हम कजरारे, | तुम रतनारी,हम कजरारे, | ||
− | कमलनाल-सी देह | + | कमलनाल-सी देह तुम्हारी |
देवदारु-सा तन मेरा है। | देवदारु-सा तन मेरा है। | ||
− | साँझ तुम्हें | + | साँझ तुम्हें प्यारी लगती है |
प्रात सुहाना फूलों वाला | प्रात सुहाना फूलों वाला | ||
मुझे डँसा करता है हर पल | मुझे डँसा करता है हर पल | ||
सूरज का रंगीन उजाला | सूरज का रंगीन उजाला | ||
− | कैसे पास | + | कैसे पास तुम्हारे आऊँ |
चंचल मन कैसे बहलाऊँ | चंचल मन कैसे बहलाऊँ | ||
− | हँसी | + | हँसी तुम्हारे होठ लिखी है |
दर्द भरा यौवन मेरा है। | दर्द भरा यौवन मेरा है। | ||
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बाधाओं के बीच गुजरना | बाधाओं के बीच गुजरना | ||
− | तुमसे झूठ मुझे | + | तुमसे झूठ मुझे क्या कहना |
सीमाओं का साथ तुम्हारा | सीमाओं का साथ तुम्हारा | ||
सैलानी जीवन मेरा है। | सैलानी जीवन मेरा है। | ||
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23:33, 20 सितम्बर 2011 का अवतरण
सॉंस तुम्हारी योजनगंधा,
मेघदूत-सा मन मेरा है।
दूध धुले हैं पॉंव तुम्हारे
अंग-अंग दिखती उबटन है
मेरी जन्मुकुंडली जिसमें
लिखी हुई हर पल भटकन है
कैसे चलूँ तुम्हारे द्वारे
तुम रतनारी,हम कजरारे,
कमलनाल-सी देह तुम्हारी
देवदारु-सा तन मेरा है।
साँझ तुम्हें प्यारी लगती है
प्रात सुहाना फूलों वाला
मुझे डँसा करता है हर पल
सूरज का रंगीन उजाला
कैसे पास तुम्हारे आऊँ
चंचल मन कैसे बहलाऊँ
हँसी तुम्हारे होठ लिखी है
दर्द भरा यौवन मेरा है।
सुबह जगाता सूरज तुमको
सॉंझ सुला जाती पुरवाई,
मुझसे दूर खड़ी होती है
मेरी अपनी ही परछाईं
बाधाओं के बीच गुजरना
तुमसे झूठ मुझे क्या कहना
सीमाओं का साथ तुम्हारा
सैलानी जीवन मेरा है।