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"संबंधों की अलगनियों पर / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर
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किसिम किसिम के | किसिम किसिम के | ||
संबोधन के महज दिखावे हैं | संबोधन के महज दिखावे हैं | ||
− | संबंधों की अलगनियों पर सबके दावे | + | संबंधों की अलगनियों पर सबके दावे हैं । |
− | दुर्घटना की | + | दुर्घटना की आशंकाएँ |
− | जैसे | + | जैसे जहाँ-तहाँ |
− | कुशल क्षेम की तहकी़कातें | + | कुशल-क्षेम की तहकी़कातें |
− | होती | + | होती रोज़ यहाँ |
अपनेपन की गंध तनिक हो | अपनेपन की गंध तनिक हो | ||
इनमें मुमकिन है | इनमें मुमकिन है | ||
− | पर ये रटे-रटाए जुमले महज छलावे | + | पर ये रटे-रटाए जुमले महज छलावे हैं । |
− | घर | + | घर दफ़्तर हर जगह |
− | दीखते | + | दीखते बाँहें फैलाए |
होठों पर मुस्कानें ओढ़े | होठों पर मुस्कानें ओढ़े | ||
भीड़ों के साए | भीड़ों के साए | ||
− | हँसते बतियाते हैं यों तो | + | हँसते-बतियाते हैं यों तो |
लोग बहुत खुल कर | लोग बहुत खुल कर | ||
− | मुँह पर ठकुर-सुहाती भीतर जलते लावे | + | मुँह पर ठकुर-सुहाती भीतर जलते लावे हैं । |
निहित स्वार्थों वाली जेबें | निहित स्वार्थों वाली जेबें | ||
− | सभी | + | सभी ढाँपते हैं |
ग़ैरों की मजबूरी का सुख | ग़ैरों की मजबूरी का सुख | ||
− | लोग | + | लोग बाँटते हैं |
− | दुआ-बंदगी, हँसी -ठहाके | + | दुआ-बंदगी, हँसी-ठहाके |
हुए औपचारिक | हुए औपचारिक | ||
− | आईनों के पुल | + | आईनों के पुल तारीफ़ी महज भुलावे हैं । |
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11:44, 21 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
किसिम किसिम के
संबोधन के महज दिखावे हैं
संबंधों की अलगनियों पर सबके दावे हैं ।
दुर्घटना की आशंकाएँ
जैसे जहाँ-तहाँ
कुशल-क्षेम की तहकी़कातें
होती रोज़ यहाँ
अपनेपन की गंध तनिक हो
इनमें मुमकिन है
पर ये रटे-रटाए जुमले महज छलावे हैं ।
घर दफ़्तर हर जगह
दीखते बाँहें फैलाए
होठों पर मुस्कानें ओढ़े
भीड़ों के साए
हँसते-बतियाते हैं यों तो
लोग बहुत खुल कर
मुँह पर ठकुर-सुहाती भीतर जलते लावे हैं ।
निहित स्वार्थों वाली जेबें
सभी ढाँपते हैं
ग़ैरों की मजबूरी का सुख
लोग बाँटते हैं
दुआ-बंदगी, हँसी-ठहाके
हुए औपचारिक
आईनों के पुल तारीफ़ी महज भुलावे हैं ।