भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रोज़ चिकचिक में सर खपायें क्या / 'अना' क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: रोज़ चिकचिक में सर खपायें क्या फैसला ठीक है निभायें क्या चश्मेन…)
(कोई अंतर नहीं)

12:57, 21 सितम्बर 2011 का अवतरण

रोज़ चिकचिक में सर खपायें क्या फैसला ठीक है निभायें क्या

चश्मेनम का अजीब मौसम है शाम,झीलें,शफ़क़,घटायें क्या

बाल बिखरे हुये, ग़रीबां चाक आ गयीं शहर में बलायें क्या

अश्क़ झूठे हैं,ग़म भी झूठा है बज़्मेमातम में मुस्कुरायें क्या

हो चुका हो मज़ाक तो बोलो अपने अब मुद्दआ पे आयें क्या

ख़ाक कर दें जला के महफ़िल को तेरे bazoo में बैठ जायें क्या

झूठ पर झूठ कब तलक वाइज़ झूठ बातों पे सर हिलायें क्या