"भारत मेरा महान् / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'" के अवतरणों में अंतर
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चहूँ दिशा पहुँचेगी मेरे भारत की पहचान।। | चहूँ दिशा पहुँचेगी मेरे भारत की पहचान।। | ||
− | महाभारत, रामायण, गीता, जन-गण-मन | + | महाभारत, रामायण, गीता,जन-गण-मन सा गान। |
ताजमहल भी बना, मेरे भारत का अमिट निशान। | ताजमहल भी बना, मेरे भारत का अमिट निशान। | ||
महिला शक्ति बन उभरीं, महामहिम भारत की शान। | महिला शक्ति बन उभरीं, महामहिम भारत की शान। | ||
− | अद्वितीय, अजेय, अनूठा ही है भारत मेरा महान्।। | + | अद्वितीय,अजेय, अनूठा ही है भारत मेरा महान्।। |
यह वो देश है जहाँ से दुनिया ने शून्य को जाना। | यह वो देश है जहाँ से दुनिया ने शून्य को जाना। | ||
खेल, पर्यटन और फिल्मों से है जिसको पहचाना। | खेल, पर्यटन और फिल्मों से है जिसको पहचाना। | ||
− | अंतरिक्ष पहुँच, तकनीकी प्रतिभाओं से विश्व भी माना। | + | अंतरिक्ष पहुँच,तकनीकी प्रतिभाओं से विश्व भी माना। |
बिना रक्त-क्रांति के जिसने पहना स्वाधीनी बाना।। | बिना रक्त-क्रांति के जिसने पहना स्वाधीनी बाना।। | ||
− | भाषा का सिरमौर, | + | भाषा का सिरमौर, सभ्यता, संस्कृति, सम्मान। |
न्याय और आतिथ्य हैं मेरे भारत के परिधान। | न्याय और आतिथ्य हैं मेरे भारत के परिधान। | ||
विज्ञान, ज्ञान, संगीत मिला आध्यात्म गुरु का मान। | विज्ञान, ज्ञान, संगीत मिला आध्यात्म गुरु का मान। | ||
ऐसे भारत को ‘आकुल’ का शत-शत बार प्रणाम।। | ऐसे भारत को ‘आकुल’ का शत-शत बार प्रणाम।। | ||
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18:22, 25 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
उन्नत भाल हिमालय सुरसरि गंगा जिसकी आन।
उन्मुक्त तिरंगा शान्ति दूत बन देता है संज्ञान।
चक्र सुदर्शन सा लहराये करता है गुणगान।
चहूँ दिशा पहुँचेगी मेरे भारत की पहचान।।
महाभारत, रामायण, गीता,जन-गण-मन सा गान।
ताजमहल भी बना, मेरे भारत का अमिट निशान।
महिला शक्ति बन उभरीं, महामहिम भारत की शान।
अद्वितीय,अजेय, अनूठा ही है भारत मेरा महान्।।
यह वो देश है जहाँ से दुनिया ने शून्य को जाना।
खेल, पर्यटन और फिल्मों से है जिसको पहचाना।
अंतरिक्ष पहुँच,तकनीकी प्रतिभाओं से विश्व भी माना।
बिना रक्त-क्रांति के जिसने पहना स्वाधीनी बाना।।
भाषा का सिरमौर, सभ्यता, संस्कृति, सम्मान।
न्याय और आतिथ्य हैं मेरे भारत के परिधान।
विज्ञान, ज्ञान, संगीत मिला आध्यात्म गुरु का मान।
ऐसे भारत को ‘आकुल’ का शत-शत बार प्रणाम।।