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<poem>काली-कलूटी, टूटी-फूटी मुर्दा सड़क
 
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जी उठती है अचानक
 
जी उठती है अचानक

04:34, 28 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

काली-कलूटी, टूटी-फूटी मुर्दा सड़क
जी उठती है अचानक
जब भी तुम गुजरती हो
हम दोनों घण्टों बतियाते हैं एक-दूजे से
तुम्हारे हर लौट जाने के बाद
तुम्हारे फिर लौट आने की उडीक में