भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
/* बुड्ढा होगा तेरा बाप */
हम खास ही हैं टूट जायेगी साँस पर आस न छूटेगी॥
पहले आप पहले आप, बुड्ढा होगा तेरा बाप……
तैरती है लाश सतह पर जो जिन्दा है वह डूबेगा।।
पहले आप पहले आप, बुड्ढा होगा तेरा बाप……
मिल जाये मुर्दा एक बार वह भी उठकर बोलेगा ॥
डाल दृष्टि चहुँ ओर हरा मैं तुझसे नहीं तू हमसे है॥
एन एल श्रमण की मूल रचना " forget forgetting" से