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Kavita Kosh से
(हिंदी सुन्दर कांड वाल्मीकि रामायणं) |
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20:59, 2 अक्टूबर 2011 का अवतरण
ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे कुबेर के वैभव की कोठरी, बंद तेरे इशारे पे ताले खुलेंगे | द्वार निहारेंगे देव खड़े सब, पंखे समीर तुम्हारे झलेंगे मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे |