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"हाथ हरियाली का इक पल में झटक सकता हूँ मैं / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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कह रहा था मात खा सकता हूँ थक सकता हूँ मैं | कह रहा था मात खा सकता हूँ थक सकता हूँ मैं | ||
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एक हद तक ही मगर पीछे सरक सकता हूँ मैं | एक हद तक ही मगर पीछे सरक सकता हूँ मैं | ||
− | अब इसे गर्काब करने का हुनर भी सीख लूँ | + | अब इसे गर्काब<sup>3</sup> करने का हुनर भी सीख लूँ |
इस शिकारे को अगर फूलों से ढक सकता हूँ मैं | इस शिकारे को अगर फूलों से ढक सकता हूँ मैं | ||
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+ | 1- स्वीकार | ||
+ | 2- मुड़ाव, कमी | ||
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14:09, 3 अक्टूबर 2011 का अवतरण
हाथ हरियाली का इक पल में झटक सकता हूँ मैं
आग बन कर सारे जंगल में भड़क सकता हूँ मैं
मैं अगर तुझको मिला सकता हूँ मेहरो माह से
अपने लिक्खे पर सियाही भी छिड़क सकता हूँ मैं
इक ज़माने बाद आया हाथ उसका हाथ में
देखना ये हैं मुझे कितना बहक सकता हूँ मैं
आईने का सामना अच्छा नहीं है बार-बार
एक दिन अपनी भी आँखों में खटक सकता हूँ मैं
कश्तियाँ अपनी जलाकर क्यों तुम आए मेरे साथ
कह रहा था मात खा सकता हूँ थक सकता हूँ मैं
है सारे तसलीम1 ख़म2 तेरी हुकूमत के हुज़ूर
एक हद तक ही मगर पीछे सरक सकता हूँ मैं
अब इसे गर्काब3 करने का हुनर भी सीख लूँ
इस शिकारे को अगर फूलों से ढक सकता हूँ मैं
1- स्वीकार
2- मुड़ाव, कमी
3- डुबाना