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"जो हुआ उसको भुलाना चाहिए/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'" के अवतरणों में अंतर

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15:43, 7 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

जो हुआ उसको भुलाना चाहिए
फिर नए सपने सजाना चाहिए

कुछ नहीं तो नोट्स लेने आ गई
उसको मिलने का बहाना चाहिए

अजनबी इक दर्द ने दिल से कहा
सर छुपाने को ठिकाना चाहिए

मेहनतों से कौन डरता है मगर
हाथ अपने कुछ तो आना चाहिए

कोई कैकेई करेगी भी तो क्या
करके वादा भूल जाना चाहिए

आप ताक़तवर हुए हैं किसलिए
ज़ुल्म कमज़ोरों पे ढाना चाहिए

पेट भरना ही नहीं है ज़िन्दगी
आदमी को कुछ तो आना चाहिए

ऐ ‘अकेला’ हार जायें हम भले
हौसला तो आज़माना चाहिए