भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"झूठी तारीफ़ों के पुल बाँधा न कर/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Tanvir Qazee (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला' |संग्रह=सुबह की दस्तक / व…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:46, 7 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
झूठी तारीफ़ों के पुल बाँधा न कर
इश्तहारों की ज़ुबां बोला न कर
रूठना तेरा सुभान अल्ला मगर
छोटी छोटी बात पे रूठा न कर
है बुरा हरदम नसीहत बाँटना
फिर वही ऐसा न कर वैसा न कर
कोई गुस्ताख़ी न कर बैठूँ कभी
मुझको इस अंदाज़ से देखा न कर
बंद भी कर ये सियासी गुफ़्तगू
ख़ुशनुमा माहौल को गंदा न कर
छेड़ दी आते ही फिर जाने की ज़िद
ऐसे आना है तो फिर आया न कर
आज कुछ खोया है कल कुछ पाएगा
हौसला रख यार दिल छोटा न कर