"ख़ुशी के अन्तहीन सागर में / आर. चेतनक्रांति" के अवतरणों में अंतर
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मुन्नी की आँखों का तारा | मुन्नी की आँखों का तारा | ||
सेवानिवृत्त दद्दू कर्नल जगदीश | सेवानिवृत्त दद्दू कर्नल जगदीश | ||
− | बाल्कनी में जा¯गग करते-करते | + | बाल्कनी में जा¯गग करते-करते हुलसे-- |
नायकहीन अँधेरे वक्तों का उजियारा | नायकहीन अँधेरे वक्तों का उजियारा | ||
आमलेट के मोटे पर्दे के पीछे से | आमलेट के मोटे पर्दे के पीछे से | ||
− | बैंक मनीजर कुक्कू ने मुस्कान | + | बैंक मनीजर कुक्कू ने मुस्कान उठाई-- |
वह देवता है खुशियों का | वह देवता है खुशियों का | ||
सुन्दर सुबहों को जगानेवाला परीजाद | सुन्दर सुबहों को जगानेवाला परीजाद | ||
− | देखो, मछलियाँ उसकी देह की क्या कहती | + | देखो, मछलियाँ उसकी देह की क्या कहती हैं-- |
लिपिस्टिक बहू | लिपिस्टिक बहू | ||
बाथरूम के दरवाजे पर विजयपताका-सी लहराई | बाथरूम के दरवाजे पर विजयपताका-सी लहराई | ||
− | पर्दे के इस कोने से उस कोने तक दरिया-सी बहती | + | पर्दे के इस कोने से उस कोने तक दरिया-सी बहती हैं-- |
मम्मू बोलीं | मम्मू बोलीं | ||
साठ साल की उजले दाँतोंवाली मम्मू | साठ साल की उजले दाँतोंवाली मम्मू | ||
− | नए दौर का नया ककहरा सीख रही | + | नए दौर का नया ककहरा सीख रही हैं-- |
क ख ग घ च छ ट ठ, मेरी घटती उम्र का घटना | क ख ग घ च छ ट ठ, मेरी घटती उम्र का घटना | ||
उसके ही शुभ-शिशु-आनन के दरशन का परताप | उसके ही शुभ-शिशु-आनन के दरशन का परताप | ||
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कीमत तो है शगुन | कीमत तो है शगुन | ||
असल चीज है खुशी | असल चीज है खुशी | ||
− | खुशी जो खत्म न | + | खुशी जो खत्म न हो-- |
डाक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माता | डाक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माता | ||
निशाचर | निशाचर | ||
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उस मुस्काते, उस उम्र घटानेवाले जादूगर नायक को | उस मुस्काते, उस उम्र घटानेवाले जादूगर नायक को | ||
और हमें भी तो | और हमें भी तो | ||
− | रचा खुशी ने | + | रचा खुशी ने ही-- |
बेडरूम से पर्दा फाड़ | बेडरूम से पर्दा फाड़ | ||
भैया बड़े कृष्ण भक्त | भैया बड़े कृष्ण भक्त | ||
− | पोप्पर्टी डीलर, | + | पोप्पर्टी डीलर, बोले-- |
खुशी की गागर धरो सहेज | खुशी की गागर धरो सहेज | ||
शेष कृष्णा पर छोड़ो | शेष कृष्णा पर छोड़ो |
02:06, 9 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
खुशी खत्म ही नहीं होती
कुछ ऐसी मस्ती छाई है
कि रात-भर नींद नहीं आई है
फिर भी सुबह चकाचक है
हिृतिक रौशन प्यारा-प्यारा
मुन्नी की आँखों का तारा
सेवानिवृत्त दद्दू कर्नल जगदीश
बाल्कनी में जा¯गग करते-करते हुलसे--
नायकहीन अँधेरे वक्तों का उजियारा
आमलेट के मोटे पर्दे के पीछे से
बैंक मनीजर कुक्कू ने मुस्कान उठाई--
वह देवता है खुशियों का
सुन्दर सुबहों को जगानेवाला परीजाद
देखो, मछलियाँ उसकी देह की क्या कहती हैं--
लिपिस्टिक बहू
बाथरूम के दरवाजे पर विजयपताका-सी लहराई
पर्दे के इस कोने से उस कोने तक दरिया-सी बहती हैं--
मम्मू बोलीं
साठ साल की उजले दाँतोंवाली मम्मू
नए दौर का नया ककहरा सीख रही हैं--
क ख ग घ च छ ट ठ, मेरी घटती उम्र का घटना
उसके ही शुभ-शिशु-आनन के दरशन का परताप
मुझे यह मेरे खेल-खिलौने दिन वापस देता है
इसके वह कई करोड़ लेता हैदृ
ज्ञानी मुन्ना बाबा ने खुशियों-भरी सभा में अपनी पोथी खोली
‘स्टारडस्ट के पण्डित’, चुप करदृदद्दू कड़के
कीमत का मत जिक्र चला, ओ निर्धन माथे
कीमत का जिक्र अशुभ होता है
तुझसे कभी किसी ने
किसी चीज की कीमत पूछी, बोल
कीमत तो है शगुन
असल चीज है खुशी
खुशी जो खत्म न हो--
डाक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माता
निशाचर
पापा
घर के मुखिया
खुशियों के कालीन पै पग धरते ही चहके
खुशी ही रचे उन्हें
जो करते लीड जमाने को
पिछले हफ्ते नहीं सुने थे वचन
गुरु खुशदीप कमल सिंहानीजी के ?
खुशी ने ही तो उसे रचा है
उस मुस्काते, उस उम्र घटानेवाले जादूगर नायक को
और हमें भी तो
रचा खुशी ने ही--
बेडरूम से पर्दा फाड़
भैया बड़े कृष्ण भक्त
पोप्पर्टी डीलर, बोले--
खुशी की गागर धरो सहेज
शेष कृष्णा पर छोड़ो
आँखें मूँदोदृअन्तर के संगीत में नाचो
खुशी के अन्तहीन सागर के तल पर
हृदय से झरते जल पर डोलो
(धूम धाम धाम धूम धमक धमक धन्न)
कृष्ण हरे बोलो।